
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को ‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर दूसरी बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की. करीब 31 मिनट के अपने प्रजेंटेशन में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस समर्थक वोटरों को निशाना बनाकर उनके नाम मतदाता सूची से हटाया जा रहा है और चुनाव आयोग उसमें सहयोग कर रहा है. अपने दावे के समर्थन में राहुल गांधी ने सबूत भी पेश किए.
अपनी कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी कर्नाटक के कुछ मतदाताओं को भी साथ लेकर आए थे. ये वो लोग थे जिनके नाम मतदाता सूची से डिलीट हुए हैं और साथ में जिनके ऊपर डिलीट करवाने का आरोप है वो भी साथ में थे. राहुल ने अपनी बात रखते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि वे उन लोगों की रक्षा कर रहे हैं, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र को ‘कमज़ोर’ कर दिया है.
राहुल ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह की वोट चोरी हुई है. उधर, निर्वाचन आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें “ग़लत और निराधार” बताया.
राहुल गांधी के आज के दावों के बाद कर्नाटक सीआईडी केस एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है. उन्होंने कहा कि कर्नाटक के आलंद और महाराष्ट्र के राजौरा विधानसभा क्षेत्रों में ‘सेंट्रलाइज़ सॉफ्टवेयर’ का इस्तेमाल करके मतदाताओं को हटाया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि आलंद में 10 बूथों से 6,000 से अधिक मतदाताओं के नाम काटे गए, जिनमें से आठ बूथ कांग्रेस के गढ़ थे.
LoP Shri @RahulGandhi delivered a revealing presentation on 'The Vote Chori Factory'.
— Congress (@INCIndia) September 18, 2025
Delhi pic.twitter.com/t38F2nc2MQ
अपने दावे के समर्थन में उन्होंने 65 वर्षीय मतदाता सूर्यकांत का उदाहरण दिया. सूर्यकांत के नाम से 2023 के कर्नाटक चुनाव से पांच महीने पहले 12 मतदाताओं का नाम डिलीट करवाने का आवेदन (फॉर्म-7) जमा किए गए थे.
उन्होंने सूर्यकांत और बबिता चौधरी को मंच पर बुलाया. सूर्यकांत ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई आवेदन नहीं दिया. उन्होंने कहा—“मेरे नाम से 12 मतदाताओं को हटाने का आवेदन डाला गया. मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं थी.” बबिता चौधरी ने भी कहा कि उन्हें यह तक नहीं पता था कि उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है.
गांधी ने आगे आरोप लगाया कि इन आवेदनों में दर्ज मोबाइल नंबर 12 पड़ोसी राज्यों से थे. उनका कहना था कि यह काम व्यक्तिगत कार्यकर्ता के स्तर पर नहीं हुआ है बल्कि संगठित रूप से‘कॉल सेंटर’ स्थापित करके किया गया है. उन्होंने यह भी दावा किया कि महाराष्ट्र की राजौरा विधानसभा में इसी तरीके का इस्तेमाल कर फर्जी मतदाताओं को जोड़ा गया है.
गांधी ने कहा, “चुनाव दर चुनाव, एक समूह व्यवस्थित तरीके से पूरे भारत में लाखों मतदाताओं को हटाने और जोड़ने का काम कर रहा है. अलग-अलग समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है, खासकर वे जो विपक्ष को वोट देते हैं. हमारे पास इसका 100 फ़ीसदी सबूत है. मैं अपने देश से प्यार करता हूं, संविधान से प्यार करता हूं, लोकतांत्रिक प्रक्रिया से प्यार करता हूं और मैं उसी प्रक्रिया की रक्षा कर रहा हूं. मैं यहां ऐसी कोई बात नहीं कह रहा हूं जो 100 फ़ीसदी प्रमाण पर आधारित न हो. फैसला आपका है.”
प्रेस कॉन्फ्रेंस के 45 मिनट के भीतर ही निर्वाचन आयोग ने जवाब देते हुए इन आरोपों को “ग़लत और बेबुनियाद” घोषित कर दिया. आयोग ने कहा कि कोई भी नागरिक ऑनलाइन तरीके से किसी वोट को डिलीट नहीं कर सकता, जैसा कि गांधी ने “ग़लतफहमी” के तहत कहा है. आयोग ने स्पष्ट किया कि 2023 में आलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं को हटाने की कुछ असफल कोशिशें हुई थीं और इस मामले की जांच के लिए एफआईआर दर्ज कराई गई थी. साथ ही आयोग ने यह भी बताया कि यह सीट 2018 में बीजेपी और 2023 में कांग्रेस ने जीती थी.
सच यह है कि कोई भी सीधे ऑनलाइन वोट डिलीट नहीं कर सकता, लेकिन 2023 की इलेक्टोरल रोल्स मैनुअल के अनुसार कोई भी व्यक्ति नाम जोड़ने या हटाने के लिए ऑनलाइन फॉर्म जमा कर सकता है. दरअसल, चुनाव आयोग अपने ऑनलाइन ट्यूटोरियल्स में खुद लोगों से कहता है कि मतदाता सूची से नाम हटवाने के लिए कोई भी फॉर्म-7 भर सकता है. साथ ही इसे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों भरा जा सकता है. समय-समय पर चुनाव आयोग इस बारे में वीडियो और पोस्टर के जरिए भी इस बारे में लोगों को जानकारी देता रहता है. फॉर्म-7 भरने के लिए चुनाव आयोग की तरफ से दिए गए जागरूकता विज्ञापन







फॉर्म-7 भरने के लिए चुनाव आयोग की तरफ से दिए गए जागरूकता विज्ञापनराहुल गांधी ने कहा कि कर्नाटक सीआईडी ने इस मामले में निर्वाचन आयोग को 18 पत्र लिखे, जिसमें आलंद में ऑनलाइन फॉर्म के ज़रिए 6,000 से अधिक मतदाताओं को हटाने की कोशिशों के विवरण मांगे गए थे. मसलन आईपीएड्रेस, ओटीपी रिसीव करने वाला नंबर आदि. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी 2023 में कांग्रेस उम्मीदवार बीआर पाटिल ने आयोग से शिकायत की थी कि उनके क्षेत्र में मतदाताओं की जानकारी के बिना उनके नाम हटाने के लिए आवेदन जमा किए जा रहे हैं. यह मामला तब सामने आया जब एक बीएलओ को उसके भाई का वोट हटाने का आवेदन मिला. वह आवेदन उसी गांव के पड़ोसी की तरफ से आया था. मजे की बात रही कि उस व्यक्ति को भी इसकी जानकारी नहीं थी.
बाद में आलंद की रिटर्निंग ऑफिसर ममता देवी ने आलंद पुलिस को बताया कि 6,018 ऐसे आवेदनों में से केवल 24 ही असली थे. इसके बाद मामला कर्नाटक सीआईडी को सौंपा गया. लेकिन द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक ढाई साल बाद भी जांच रुकी रही क्योंकि चुनाव आयोग सीआईडी को उन डिवाइसों का तकनीकी विवरण जैसे डेस्टिनेशन आईपी और पोर्ट्स नहीं दे रहा था, जिनसे ये आवेदन जमा किए गए थे. जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच सीआईडी ने मुख्य चुनाव अधिकारी को सात पत्र लिखकर बार-बार ये जानकारी मांगी, लेकिन जवाब नहीं मिला.
राहुल गांधी ने सीआईडी के साथ सहयोग न करने पर निर्वाचन आयोग की आलोचना की और एक हफ्ते में जवाब देने की मांग रखी. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि वह इस मुद्दे पर एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे.
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