
भारत में बिजली गिरने की घटनाओं में बीते 5 सालों में 57 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है. इसका सबसे ज़्यादा प्रकोप ग्रामीण इलाकों में देखा जा रहा है. अर्थ नेटवर्क की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का भूगोल ज़्यादातर भूमध्य रेखा और हिंद महासागर के नज़दीक होने की वजह से यहां अधिक गर्मी और नमी रहती है, जिससे अधिक मात्रा में आंधी-तूफ़ान (थंडरस्टॉर्म) बनते हैं. इसके साथ ही भारत में लोगों के बीच जागरूकता की कमी के कारण भी बिजली गिरने से मौतें, बाढ़ और चक्रवात (साइक्लोन) की तुलना में ज़्यादा होती हैं.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, प्राकृतिक आपदाओं जैसे तूफ़ान, आंधी और बिजली गिरने से कुल 8,060 लोगों की मौत हुई है. इनमें से 35.8 फीसदी लोगों की मौत का कारण बिजली गिरना रहा है.
ढेंकानाल जिले की इमरजेंसी रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 5 साल में अब तक 44 लोगों की बिजली गिरने से मौत हुई है. ओडिशा स्पेशल रिलीफ कमिश्नर की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में अब तक 1454 लोगों की जान गई है. गौरतलब है कि ओडिशा, भारत के उन राज्यों में से एक है जहां बिजली गिरने से सबसे अधिक मौतें होती हैं.
ढेंकानाल के किसान संजय दियानी के भाई सनातन दियानी की मौत बिजली गिरने के कारण हुई. उस घटना को याद करते हुए वह बताते हैं, “हम गांव पहुंचने ही वाले थे, तभी बिजली गिरी. इसके बाद मैं बेहोश हो गया और जब होश आया तो उनकी मौत हो चुकी थी. उसकी पीठ जल गई थी.”
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