
10 मई की देर रात, जब उधमपुर से चलकर स्पेशल ट्रेन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के भीड़ भरे प्लेटफॉर्म पर पहुंची तो उसके यात्री न केवल भारी बोझ के साथ उतरे बल्कि उनके चेहरों पर भय और अनिश्चितता का बोझ भी साफ दिखाई दे रहा था. ट्रेन पहले ही दो घंटे देरी से चल रही थी. वहीं विशेष सेवा होने के चलते भी स्पष्ट नहीं था कि यह किस प्लेटफॉर्म पर आएगी.
इस बीच, यात्रियों के चिंतित रिश्तेदार सीढ़ियों और स्टेशन के भीड़ भरे कोनों पर प्रतीक्षा करते देखे गए. उनकी आंखें हर आने वाली ट्रेन को उत्सुकता से देख रही थीं. करीब 12 बजे पहुंची इस ट्रेन के यात्रियों से हमने बातचीत की.
22 परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के समूह के साथ वैष्णो देवी से लौट रहे मनीष ने कहा, ‘हम जो पहले रील में देखते थे, वह हमने रीयल में देखा.’
उत्तर प्रदेश के हाथरस निवासी मनीष को भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के कारण अपनी तीर्थयात्रा अचानक बीच में ही रोकनी पड़ी. समूह ने 7 मई को अपनी यात्रा शुरू की थी और मूल रूप से 16 मई को वापस लौटना था. हालांकि, जम्मू में तेजी से बिगड़ते हालात ने उन्हें जल्दी लौटने पर मजबूर कर दिया. वे सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के लिए दिल्ली जाने वाली विशेष ट्रेन से 10 मई की देर रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे.
उत्तर प्रदेश के झांसी के एक मजदूर पन्नू ने कहा, ‘मैं अपनी जान बचाकर भागा हूं. पिछले छह महीनों से पठानकोट में काम कर रहा था.’ वह अपने गांव के आठ अन्य परिवारों के साथ इस ट्रेन से दिल्ली पहुंचे.
अधिकांश दिहाड़ी मजदूरों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि वे स्थिति के स्थिर होने के बाद ही वापस लौटने पर विचार करेंगे. मध्य प्रदेश के एक मजदूर गोविंद ने कहा, ‘मैं वहां दो साल से अधिक समय से काम कर रहा था. मैं तब तक वापस नहीं जाऊंगा जब तक कि शांति न हो जाए.’
मध्य प्रदेश निवासी सीमा स्टेशन के बाहर की ओर जा रही थीं, अपने सिर पर एक बैग रखे हुए और महिलाओं के एक समूह के साथ चल रही थी. उसने कहा कि भारी गोलाबारी और सीमा पार से हो रही हवाई फायरिंग के बाद मची अफरातफरी ने उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया.
उनके मुताबिक, कुछ रिश्तेदार अभी भी वहां फंसे हुए हैं, जो अपने बकाये का भुगतान होने का इंतज़ार कर रहे हैं. जिन लोगों को उनकी मज़दूरी मिल गई है, वे वापस लौट आए हैं, लेकिन कई लोग जिनका भुगतान अभी नहीं हुआ है. वे जम्मू में ही रुके हुए हैं.
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