
राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह पराली को लेकर किसानों को सजा नहीं देना चाहती. किसानों की क्या दिक्कत है. वो मशीन का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहे हैं? फाइव स्टार होटल में बैठ कर लोग आंकड़े बता रहे हैं. किसानों से जाकर बात करिए और पता कीजिए कि उनके पास पैसा है या नहीं.
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की बेंच ने प्रदूषण को लेकर सुनवाई के दौरान कई अहम टिप्पणियां की हैं. कोर्ट ने न्यूज़ चैनलों पर हो रही डिबेट पर अपनी नाराजगी जाहिर की. चीफ जस्टिस ने कहा, “टीवी न्यूज चैनलों के डिबेट सबसे अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं. वे नहीं समझते हैं. सबका अपना एजेंडा है.”
CJI: debates in TV is creating more pollution than everybody. They don’t understand. Statements are taken out of context.
— Live Law (@LiveLawIndia) November 17, 2021
Everyone has their own agenda. #SupremeCourt #DelhiPollution
बता दें कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में सुनवाई की शुरुआत में कहा कि मेरे बारे में मीडिया में कहा गया कि मैंने पराली जलाने को लेकर गलत जानकारी दी, मैं इस पर स्पष्टीकरण देना चाहता हूं. जिसपर सीजेआई ने इस पर कहा कि पब्लिक ऑफिस में ऐसी आलोचना होती रहती हैं, इसे भूल जाइए.
SG Tushar Mehta appears.
— Live Law (@LiveLawIndia) November 17, 2021
CJI: what’s this bulky filing?
SG: i saw some irresponsible and nasty appearances on TV media against me that i misled court on stubble burning. Let me clarify #SupremeCourt #DelhiPollution
J Chandrachud: We were not misled at all.
— Live Law (@LiveLawIndia) November 17, 2021
SG: allow me 5 minutes for my satisfaction.
CJI: in public offices these kind of criticism are bound to happen. We are clear our conscience is clear, forget about all this #SupremeCourt #DelhiPollution
वर्क फ्रॉम होम के मुद्दे पर एसजी ने कोर्ट को बताया कि, भारत सरकार के लिए अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम मोड में भेजना मुमकिन नहीं है.
केंद्र सरकार ने 392 पेज के अपने हलफनामे में बताया कि कोविड के चलते पहले ही कामकाज प्रभावित हुआ है, जिसका देश पर असर पड़ा है.
SG: the advantage of not passing work from home direction would outweigh the advantages which would be gained from work from home directions which would be limited to only less number of Central Government vehicles on road.#SupremeCourt #DelhiPollution
— Live Law (@LiveLawIndia) November 17, 2021
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि प्रदूषण को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे है. जिस पर जवाब देते हुए दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, दो महीनों में पराली जलाने की घटनाएं चरम पर हैं. पराली जलाना प्रदूषण का कारण है.
दिल्ली सरकार ने कहा, पैट्रोलिंग के साथ निर्माण स्थलों पर सख्ती से नजर रखी जा रही है और एंटी स्मॉग गन लगाई गई है.एंटी डस्ट कैंपेन भी चलाया जा रहा है. कोर्ट ने पूछा कि यूपी, पंजाब और हरियाणा के सिर्फ कुछ ही गांवों में पराली जलती है. हम उस पर बात नहीं करेंगे. दिल्ली सरकार बताए कि उसने क्या किया है? इस पर सिंघवी ने बताया कि कल जो सभी राज्यों की बैठक में निर्देश दिए गए थे उसमें से 90 प्रतिशत कदम दिल्ली सरकार पहले ही उठा चुकी है.
Singhvi: yesterday the all states meeting was conducted. Please note, 90% of those activities in his affidavit have been done & modelled after delhi govt. #SupremeCourt #DelhiPollution
— Live Law (@LiveLawIndia) November 17, 2021
कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि एक राज्य के तौर पर आपने प्रदूषण को कम करने के लिए क्या किया है. जिस पर हरियाणा सरकार ने कहा हमने किसानों से पराली ना जलाने को कहा है, वर्क फ्रॉम होम भी किया है.
Counsel for State of Haryana appears.
— Live Law (@LiveLawIndia) November 17, 2021
CJI: have you made efforts to talk ro farmers?
Counsel: Yes District Magistrates have been asked to talk to not do this for 2 weeks. Court’s orders have been complied with, work from home directed#SupremeCourt #DelhiPollution
सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने कहा कि पराली जलाने वाले किसानों से 2.5 हजार रुपए से लेकर 15 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया गया है. पंजाब सरकार ने यह भी बताया कि इस साल पराली का प्रबंधन करने के लिए 10,024 मशीनों खरीदी गईं हैं.
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