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न्यूज़लॉन्ड्री टीम

टीवी डिबेट में होता है सबसे ज्यादा प्रदूषण- सुप्रीम कोर्ट

राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह पराली को लेकर किसानों को सजा नहीं देना चाहती. किसानों की क्या दिक्कत है. वो मशीन का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहे हैं? फाइव स्टार होटल में बैठ कर लोग आंकड़े बता रहे हैं. किसानों से जाकर बात करिए और पता कीजिए कि उनके पास पैसा है या नहीं.

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की बेंच ने प्रदूषण को लेकर सुनवाई के दौरान कई अहम टिप्पणियां की हैं. कोर्ट ने न्यूज़ चैनलों पर हो रही डिबेट पर अपनी नाराजगी जाहिर की. चीफ जस्टिस ने कहा, “टीवी न्यूज चैनलों के डिबेट सबसे अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं. वे नहीं समझते हैं. सबका अपना एजेंडा है.”

बता दें कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में सुनवाई की शुरुआत में कहा कि मेरे बारे में मीडिया में कहा गया कि मैंने पराली जलाने को लेकर गलत जानकारी दी, मैं इस पर स्पष्टीकरण देना चाहता हूं. जिसपर सीजेआई ने इस पर कहा कि पब्लिक ऑफिस में ऐसी आलोचना होती रहती हैं, इसे भूल जाइए.

वर्क फ्रॉम होम के मुद्दे पर एसजी ने कोर्ट को बताया कि, भारत सरकार के लिए अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम मोड में भेजना मुमकिन नहीं है.

केंद्र सरकार ने 392 पेज के अपने हलफनामे में बताया कि कोविड के चलते पहले ही कामकाज प्रभावित हुआ है, जिसका देश पर असर पड़ा है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि प्रदूषण को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे है. जिस पर जवाब देते हुए दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, दो महीनों में पराली जलाने की घटनाएं चरम पर हैं. पराली जलाना प्रदूषण का कारण है.

दिल्ली सरकार ने कहा, पैट्रोलिंग के साथ निर्माण स्थलों पर सख्ती से नजर रखी जा रही है और एंटी स्मॉग गन लगाई गई है.एंटी डस्ट कैंपेन भी चलाया जा रहा है. कोर्ट ने पूछा कि यूपी, पंजाब और हरियाणा के सिर्फ कुछ ही गांवों में पराली जलती है. हम उस पर बात नहीं करेंगे. दिल्ली सरकार बताए कि उसने क्या किया है? इस पर सिंघवी ने बताया कि कल जो सभी राज्यों की बैठक में निर्देश दिए गए थे उसमें से 90 प्रतिशत कदम दिल्ली सरकार पहले ही उठा चुकी है.

कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि एक राज्य के तौर पर आपने प्रदूषण को कम करने के लिए क्या किया है. जिस पर हरियाणा सरकार ने कहा हमने किसानों से पराली ना जलाने को कहा है, वर्क फ्रॉम होम भी किया है.

सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने कहा कि पराली जलाने वाले किसानों से 2.5 हजार रुपए से लेकर 15 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया गया है. पंजाब सरकार ने यह भी बताया कि इस साल पराली का प्रबंधन करने के लिए 10,024 मशीनों खरीदी गईं हैं.

Also Read: ज्यादातर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड छिपाते हैं जरूरी जानकारियां, नहीं बरतते पारदर्शिता

Also Read: न्यूज़ पोटली 173: प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और जेएनयू में फिर भड़की हिंसा

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