Get all your news in one place.
100’s of premium titles.
One app.
Start reading
Newslaundry
Newslaundry
National
अवधेश कुमार

पुलिस की कड़ाई के बीच किसान आंदोलन का लेखाजोखा

एमएसपी की गारंटी, किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी समेत तमाम अन्य मुद्दे जिनका वादा प्रधानमंत्री मोदी ने पिछला किसान आंदोलन खत्म करवाने के वक्त किया था, वो अब तक पूरे नहीं हुए. लिहाजा हरियाणा और पंजाब के किसान एक बार फिर से दिल्ली कूच कर रहे हैं. किसानों को रोकने के लिए दिल्ली और हरियाणा पुलिस ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. पुलिस और किसानों के बीच शंभू बॉर्डर से लगातार संघर्ष की खबरें आ रही हैं. 

इस संघर्ष में काफी किसान और हरियाणा पुलिस के  कई जवान और अफसर भी घायल हुए हैं. वहीं, दिल्ली कूच के ऐलान को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने राजधानी की सीमाओं से लगने वाले तमाम अन्य राज्यों के बॉर्डर को भी सील कर दिया है. किसान दिल्ली में प्रवेश न कर सकें इसके लिए पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं. दिल्ली से सटी इन सीमाओं की मौजूदा स्थिति क्या है, यही जानने के लिए हमने गाजीपुर, टिकरी और सिंघु बॉर्डर का दौरा किया.

पहले बात करते हैं कि किसान कहां हैं और दिल्ली से कितनी दूर हैं. दरअसल, किसान अभी हरियाणा-पंजाब के बीच शंभू बॉर्डर पर हैं, जो कि अंबाला जिले में पड़ता है. हजारों किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ शंभू की सीमा पार करने का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि, इस सीमा को हरियाणा पुलिस ने पूरी तरह से सील किया हुआ है ताकि किसान किसी भी स्थिति में इसे पार न कर सकें. 

स्थिति कुछ ऐसी है कि एक तरफ किसान तो दूसरी तरफ पुलिस के जवान खड़े हैं. दोनों के बीच में सीमेंट के बैरियर और कटीली तारें लगाई गई हैं. सड़कों पर कीलें ठोंकी गई हैं. जैसे ही किसान इस कंटीली सीमा को पार करने की कोशिश करते हैं वैसे ही पुलिस उन पर आसू गैस के गोले, वॉटर कैनन, और रबर बुलेट दाग रही है. यही नहीं पुलिस किसानों को ड्रोन से आंसू गैस के गोले फेंककर भी निशाना बना रही है. जो कि किसी आंदोलन में पहली बार देखा गया है. 

इस पर संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है, "हैरत की बात है कि किसानों को रोकने के लिए पुलिस ड्रोन से आंसू गैस के गोले दाग रही है. ये दिखाता है कि मोदी सरकार जनता में अपना भरोसा खो चुकी है. जबकि एक लोकतांत्रिक देश में हर नागरिक को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार है." 

पंजाब किसान मज़दूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवण सिंह पंढेर ने इसे भारतीय इतिहास का काला दिन बताया. 

गाजीपुर बॉर्डर

गाजीपुर बॉर्डर पर भी हालात ठीक नहीं हैं. इसे भी दिल्ली पुलिस ने पूरी तरह से बंद कर दिया है. कंटीले तार, बैरिकेड्स और सीमेंट के बैरियर लगाए गए हैं. इसके चलते ट्रैफिक की स्थिति बेहद खराब है, लंबा जाम लगा है. गाजीपुर बॉर्डर पर हमने पाया कि वहां पर भारी पुलिस की तैनाती है. महिला पुलिसकर्मी हाथों में डंडे लेकर मार्च करती हुई दिखाई दी. अधिकारी बकायदा उन्हें ट्रेनिंग देते दिखाई दिए. दिल्ली यूपी की इस सीमा पर फ्लाईओवर पर दोनों ओर से सिर्फ एक गाड़ी जाने का रास्ता दिया गया है, जबकि नीचे पूरी तरह से रास्ता बंद किया गया है.

तस्वीरों में गाजीपुर बॉर्डर

जेसीबी, बसें व अन्य गाड़िया भारी तादात में खड़ी हैं. पुलिसकर्मी जेसीबी चालक की मदद से बैरिकेड्स को उठाकर इधर से उधर रखते नजर आए. खंभों पर स्पीकर लगाए गए हैं ताकि स्थिति खराब होने पर उनके जरिए निर्देश दिए जा सकें. 

गाजीपुर बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस और मीडियाकर्मी भी भिड़ते दिखाई दिए. पुलिस मीडिया को कवरेज करने से रोकने की कोशिश कर रही है. कभी उनसे उनका आईकार्ड मांग रही है तो कभी उन्हें दूसरी तरफ से जाने को कह रही है. बता दें कि 2020 में हुए किसान आंदोलन में भी पुलिस और मीडिया कर्मियों के बीच काफी तकरार देखने को मिली थी.

गाजीपुर बॉर्डर पर जेसीबी चालक संजू कहते हैं, “मैं यहां तीन दिन से काम कर रहा हूं, मैं दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से सीमेंट के डिवाइडर उठाकर ला रहा हूं. मैंने कल यमुना डिपो पर 10 डिवाइडर उतारे थे और आज यहां छह डिवाइडर लक्ष्मीनगर से लेकर आया हूं. पुलिसकर्मी जो निर्देश देते हैं उसी आधार पर मैं डिवाइडर उठाने और लगाने के काम कर रहा हूं.” 

टिकरी बॉर्डर

टिकरी बॉर्डर पर भी भारी पुलिस की तैनाती की गई है, बैरिकेड्स की कई लेयर बनाई गई हैं. टिकरी बॉर्डर पर पहुंचने से पहले ही भारी पुलिस बल तैनात है. गाड़ियों की एंट्री पूरी तरह से बैन है. यहां रात में भारी बैरिकेडिंग के बाद भी करीब 40 से 50 मजदूर और ठेकेदार सीमेंट से डिवाइडरों के गैप को भरते नजर आए.

ठकेदार छविलाल कहते हैं, “हम यहां सीमेंट भर रहे हैं. इसे सीमेंट और कंक्रीट से 5-7 फिट तक भरा जाना है. हम काफी समय से इस काम को कर रहे हैं. पुलिसकर्मियों के मुताबिक, अभी यहां कई दिन का काम है” 

वहीं, एक अन्य ठेकेदार मुन्ना कहते हैं, “हम इस काम को शाम छह बजे से कर रहे हैं और यह पूरी रात ऐसे ही चलेगा. कल भी इस काम को जारी रखा जाएगा. यहां हम 10-15 ठेकेदार और 40-50 मजदूर हैं. जब तक हम इसे भर नहीं देंगे तब तक काम जारी रहेगा.”

इस बीच देर रात तक गाड़ियों से लोहे के बैरिकेड्स भी आते रहे. 

सिंघु बॉर्डर

सिंघु बॉर्डर पर भी भारी बैरिकेडिंग की गई है. बॉर्डर को सील करने के लिए कंक्रीट ब्लॉक, कंटीले तार भी लगाए गए हैं. यही नहीं अब दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) का लगाया हुआ 'वेलकम टू दिल्ली' वाला बोर्ड भी उतार दिया है. इसके अलावा आस-पास के रास्तों को खोद दिया गया है. ड्रोन से लगातार निगरानी की जा रही है. राहगीरों को आने-जाने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

कोर्ट में चल रहा मामला

आंदोलन का यह मामला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में भी चल रहा है. मंगलवार को हुई सुनवाई में बेंच ने कहा कि राज्य सरकारें प्रदर्शनकारियों के लिए जगह दें. इसके लिए हरियाणा, पंजाब और दिल्ली सरकार को नोटिस भी जारी किया है. कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान भारतीय नागरिक हैं और उनके पास शांतिपूर्वक रूप से आने जाने और प्रदर्शन करने का अधिकार है.

जुड़ने लगा संयुक्त किसान मोर्चा !

इस बार जगजीत सिंह डल्लेवाल का संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं. किसान मजदूर मोर्चा 18 किसानों का समूह है, जिसके मुखिया सरवण सिंह पंधेर हैं. दोनों ही संगठन 2020 में हुए आंदोलन में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) का हिस्सा रहे हैं. 2020-21 में हुए आंदोलन के बाद कई गुट एसकेएम से अलग हो गए. इनमें कई नए विभाजन हुए तो कई के मुखिया भी बदल गए. 

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का कहना है कि केंद्र सरकार ने आंदोलन खत्म करने की अपील करते हुए जो वादे किए थे, वो पूरे नहीं किए गए हैं. सरकार ने हमारे साथ वादाखिलाफी की है. चाहे वो एमएसपी की गारंटी का वादा हो या फिर पिछले आंदोलन के समय किसानों पर किए मुकदमों को वापस लेने का. 

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत कहते हैं, “हमें ऐसा न समझा जाए कि हम इस आंदोलन का समर्थन नहीं कर रहे हैं. सरकार जो कर रही है वो गलत कर रही है. सरकार को बातचीत कर हल निकालना चाहिए. 16 फरवरी को हमारा ग्रामीण भारत बंद है. अगर दिक्कत हुई तो फिर हम भी एक्टिव होंगे, किसानों की समस्या के लिए हम दिल्ली कूच भी करेंगे.”

क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता दर्शनपाल सिंह ने बुधवार को एक वीडियो संदेश जारी कर कहा, "हमने संयुक्त किसान मोर्चा के पंजाब चैप्टर की मीटिंग में फैसला लिया गया है कि जो संघर्ष संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा कि तरफ से चलाया जा रहा है. उसे हमारा समर्थन है."

उन्होंने आगे कहा, "हरियाणा की खट्टर और केंद्र की मोदी सरकार किसानों का दमन कर रही है. किसानों पर आंसू गैस, पानी की बौछारें और गोले दागे जा रहे हैं. 100 से ज्यादा किसान जख्मी हुए हैं. हम चाहते हैं कि इस तरह का जुल्म बंद हो. किसानों को दिल्ली जाने दिया जाए और जिन्होंने किसानों को जख्मी किया है, उन्हें पहचान कर उनके खिलाफ मुकदमे किए जाएं क्योंकि अगर किसानों का गुस्सा बढ़ेगा तो भाजपा के लिए ठीक नहीं होगा."

Newslaundry is a reader-supported, ad-free, independent news outlet based out of New Delhi. Support their journalism, here.

Sign up to read this article
Read news from 100’s of titles, curated specifically for you.
Already a member? Sign in here
Related Stories
Top stories on inkl right now
Our Picks
Fourteen days free
Download the app
One app. One membership.
100+ trusted global sources.