
दिल्ली-एनसीआर पर ज़हरीली हवा का बादल छाया हुआ है. इसी बीच, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और नागरिकों का एक समूह जंतर मंतर पर सरकारों की निष्क्रियता के खिलाफ प्रदर्शन करने पहुंचा. यह प्रदर्शन साइंटिस्ट्स फ़ॉर चेंज नाम के संगठन ने आयोजित किया था, जो विज्ञान के छात्रों का एक समूह है. इसमें प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स लीग और दिशा जैसी छात्र संगठनों ने भी भागीदारी की.
प्रदर्शनकारियों ने मौके पर एक ज्ञापन वितरित किया जिसमें 11 प्रमुख मांगें रखी गईं. जैसे कि दिल्ली में जन स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करना, लंबी अवधि की प्रदूषण नियंत्रण योजना लागू करना, गंभीर स्मॉग के समय निर्माण कार्य और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की आवाजाही रोकना, सार्वजनिक परिवहन का विस्तार करना, प्रदूषण मानकों का उल्लंघन करने वाले उद्योगों पर सख्त कार्रवाई, और प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था हो.
ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए, बड़े पैमाने पर पेड़ लगाए जाएं, खतरनाक स्तर की वायु गुणवत्ता के दौरान स्कूल और दफ्तर बंद किए जाएं, और एक संयुक्त निगरानी समिति बनाई जाए जिसमें विशेषज्ञ, सरकारी प्रतिनिधि और नागरिक शामिल हों.
प्रदर्शन में मौजूद एक कार्यकर्ता, विशाल ने न्यूज़लॉन्ड्री से कहा, “पटाखों की वजह से दिवाली के दौरान और उसके बाद प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ गया. यह भाजपा-आरएसएस की राजनीति का तरीका है कि असली मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए धार्मिक भावनाओं को भड़काएं. 2023 में प्रदूषण से मरे 17,188 लोगों में क्या बड़ी संख्या हिंदू नहीं थी?”
पुलिस की अनुमति न मिलने के कारण प्रदर्शनकारियों को करीब एक घंटे बाद जंतर मंतर से हटना पड़ा. अब 9 नवंबर को इंडिया गेट पर एक और प्रदर्शन की योजना बनाई जा रही है, ताकि दिल्ली और केंद्र सरकार दोनों से जवाबदेही तय की जा सके.
देखिए ये रिपोर्ट.
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