
उत्तराखंड में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में वापसी कर रही है. भाजपा को 70 में से 47 सीटों पर जीत हासिल हुई है वहीं कांग्रेस पार्टी ने 19 सीटें अपने नाम की हैं.
बता दें उत्तराखंड में कुल 81 लाख 43 हजार 922 वोटर्स हैं, जिन्होंने उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला किया है. साल 2017 में मोदी लहर के दौरान भाजपा राज्य में कुल 70 विधानसभा सीटों में से 57 पर जीत हासिल करने में सफल रही थी. जबकि कांग्रेस ने सिर्फ 11 सीटें जीतीं थीं.
जीत के बाद गुरुवार को भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने देहरादून में कहा, "उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और उत्तर प्रदेश में जीत यह स्पष्ट करती है कि लोग आगामी लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को फिर से पीएम बनाएंगे."
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भाजपा की जीत पर लोगों को धन्यवाद दिया और समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा भी किया. धामी ने कहा, "उत्तराखंड देश की सांस्कृतिक आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है और यह समान नागरिक संहिता का हकदार है. हम अपने द्वारा किए गए अन्य सभी वादों को भी पूरा करेंगे.”
वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि वह राज्य में कांग्रेस की हार का जिम्मा लेते हैं. उन्होंने कहा, “उत्तराखंड की जनता का दिल जीतने की हमारी कोशिश कुछ कम रह गई. हमें यकीन था कि लोग बदलाव के लिए वोट करेंगे, हमारे प्रयासों में कोई कमी रही होगी. मैं जनादेश को स्वीकार करता हूं और हार की जिम्मेदारी लेता हूं.”
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी को मिली हार
इस चुनाव में उत्तराखंड के पूर्व और वर्तमान दोनों मुख्यमंत्री अपनी-अपनी सीटों से हार गए.
उत्तराखंड के लालकुआं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को मात मिली. भाजपा के डॉ. मोहन सिंह बिष्ट ने हरीश रावत को 17527 वोटों से हराया. वहीं दूसरी तरफ हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण सीट से जीत गई हैं. उन्होंने भाजपा के यतीशवरानंद को 4472 वोटों के अंतर से हराया.
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत ने साल 2017 के विधानसभा चुनाव में दो सीटें- हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा से विधानसभा चुनाव लड़ा था. लेकिन उन्हें दोनों ही सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. इस बार उन्होंने हल्द्वानी के पास लालकुआं सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार ही मिली.
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत तो हासिल हुआ लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गए. खटीमा विधानसभा सीट से धामी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. उनको कांग्रेस के भुवन कापड़ी ने 6579 वोटों से हराया है. जबकि 2017 में धामी ने भुवन कापड़ी को मात दी थी.
किसने मारी बाजी?
भाजपा की ऋतू खंडूरी भूषन कोटद्वार सीट से चुनाव जीत गईं. उन्होंने कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी को 3687 वोटों के अंतर से हराया है. ऋतू उत्तराखंड के पूर्व सीएम बीसी खंडूरी की बेटी हैं.
कैबिनेट मंत्री और कालाढूंगी से भाजपा प्रत्याशी बंशीधर भगत सातवीं बार विधायक बन गए हैं. उन्होंने नैनीताल जिले की कालाढूंगी विधानसभा से बड़ी जीत दर्ज की है. कालाढूंगी से 11 उम्मीदवार मैदान में थे. बंशीधर भगत को 67847 वोट मिले हैं. कांग्रेस उम्मीदवार महेशचंद्र 43916 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर हैं.
कौन बनेगा मुख्यमंत्री?
इस बार का विधानसभा चुनाव कई मायनों में महत्त्वपूर्ण रहा. यह चुनाव राज्य के इतिहास में पहली बार है कि कोई भी पार्टी दूसरी बार उत्तराखंड में सरकार बनाने जा रही है. इस पर दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में अपने विजय भाषण के दौरान पीएम मोदी ने कहा, "बीजेपी ने उत्तराखंड में नया इतिहास लिखा है- पहली बार राज्य में लगातार दूसरी बार कोई पार्टी आई है."
अब जब क्योंकि वर्तमान में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी सीट से हार गए हैं ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि उत्तराखंड की सत्ता किसी और के हाथों में जा सकती है. इस रेस में धन सिंह रावत, सतपाल महाराज और त्रिवेणी सिंह का नाम सामने आ रहा है. मसूरी से विधायक गनेश जोशी भी राज्य का अगला सीएम चैहरा हो सकते हैं.
मणिपुर
मणिपुर में भाजपा ने कुल 60 विधानसभा सीटों में से 32 सीटें हासिल की हैं. यह ऐतिहासिक है क्योंकि यह पहली बार है जब भाजपा ने अपने दम पर बहुमत के साथ मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में जीत अपने नाम की है. साल 2017 में कांग्रेस 27 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी केवल पांच सीटों पर सिमट गई. पिछली बार भाजपा दूसरे स्थान पर रही थी लेकिन उसने कांग्रेस के चुने हुए सदस्यों को अपने पाले में मिलाकर सरकार बना ली थी और एन बीरेन सिंह राज्य के मुख्यमंत्री बन गए थे.
राज्य में बहुमत का आंकड़ा 31 है जो भाजपा पार कर चुकी है. इसके अलावा एनपीपी को सात, एनपीएफ को पांच व नितीश कुमार की पार्टी जेडीयू को छह सीटें हासिल हुई हैं.
प्रत्याशियों की जीत को लेकर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने ट्वीट कर सबको बधाई दी है. उन्होंने कहा, "मणिपुर विधानसभा चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) के सभी विजयी उम्मीदवारों और मित्रों को हार्दिक बधाई. जद (यू) मणिपुर की जनता का आभारी है. पार्टी के नवनिर्वाचित विधायक जनता के प्रति समर्पित होकर मणिपुर के विकास के लिए काम करेंगे और इसके लिए आवाज उठाएंगे."
Heartiest congratulations to all winning candidates and friends of Manipur and Janata Dal (United) party. JDU is grateful to the people of Manipur. Newly elected MLAs will work for development of Manipur and will raise voice for it.
— Rajiv Ranjan (Lalan) Singh (@LalanSingh_1) March 10, 2022
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने हीनगंग सीट से अपने निकटतम प्रतिद्विंदी कांग्रेस के पी शरतचन्द्र सिंह को 18271 वोटों से हरा दिया है.
मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह ने प्रदेश की थोउबल विधानसभा सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी व भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार एल बसंत सिंह को 2543 वोटों से हरा दिया है.
विधानसभा चुनाव परिणाम पर मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा, “मैं मणिपुर के लोगों को धन्यवाद देता हूं. मैं हमारे राष्ट्रीय नेताओं पीएम मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा को हमारा मार्गदर्शन करने के लिए धन्यवाद देता हूं, और उसके कारण, हम मणिपुर में जीते हैं. गोवा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में जीत, पीएम मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास' के मंत्र को दिखाती है."
I thank the people of Manipur. I thank our national leaders PM Modi, Amit Shah, JP Nadda for guiding us, and due to that, we've won in Manipur. Victory in Goa, Uttarakhand and Uttar Pradesh shows PM Modi's mantra of 'Sabka Saath Sabka Vikas': Manipur CM N Biren Singh pic.twitter.com/zMYblw7tx3
— ANI (@ANI) March 10, 2022
मणिपुर में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन की कई वजहें हो सकती हैं. मणिपुर में एक रैली को संबोधित करने के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, "300,000 घरों में पाइप से पानी के कनेक्शन से पानी पहुंचाया गया. पीएम आवास योजना के तहत 7000 घर बनाए गए, 150,000 घरों में गैस सिलिंडर बांटा गया, रेल नेटवर्क का विस्तार किया गया और आधारभूत संरचना पर ध्यान केंद्रित किया."
गोवा
गोवा में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. गोवा की 40 सीटों में 20 पर भजपा विजयी रही. गोवा में सरकार बनाने के लिए 21 सीटों की जरूरत है. इस बीच, निर्दलीय उम्मीदवारों एंटोनियो वास, चंद्रकांत शेट्टी और एलेक्स रेजिनाल्ड ने भाजपा को अपना समर्थन दिया है. बता दे कि यहां कांग्रेस को 11 और आम आदमी पार्टी को दो सीटों पर जीत मिली है.
साल 2017 में कांग्रेस 17 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी. भाजपा के पाले में 14 सीटें आई थीं लेकिन भाजपा ने गोवा फॉरवर्ड पार्टी और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजेपी), जिन्होंने तीन-तीन सीटें जीती थीं और तीन निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ मिलकर, सरकार बनाने में सफलता हासिल की थी.
कौन जीता कौन हारा?
गोवा की सांकेलिम विधानसभा सीट से प्रमोद सावंत जीत गए हैं. पोंडा से पूर्व सीएम और बीजेपी उम्मीदवार रवि नाइक महज 13 वोटों से जीते हैं. गोवा के पणजी से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे दिवंगत मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर को हार मिली है.
गोवा की मडगांव विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत ने एक बार फिर से जीत हासिल कर ली है. उन्होंने इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के मनोहर आजगांवकर को 7794 वोट से मात दी है.
वहीं जीत के बाद गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा, “यह मेरे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण था क्योंकि मैं पूरे राज्य में प्रचार कर रहा था लेकिन अपने निर्वाचन क्षेत्र तक नहीं पहुंच सका. मेरे कार्यकर्ताओं ने मेरे लिए प्रचार किया. मैं कम अंतर से जीता हूं लेकिन हम (भाजपा) बहुमत से जीते हैं, यह एक बड़ी बात है.”
कांग्रेस प्रवक्ता संजय निरूपम ने कहा, “परिणाम निराशाजनक हैं. गोवा और उत्तराखंड में सरकार बनाने की उम्मीद थी. उन्होंने कहा कि इसके कारण क्या रहे, इसकी समीक्षा की जाएगी.”
गोवा में टीएमसी ने कहा कि हम इस जनादेश को पूरी विनम्रता के साथ स्वीकार करते हैं. हम हर गोयनकर का विश्वास और प्यार जीतने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे. चाहे कितना भी समय लगे, हम यहां रहेंगे और हम गोवा के लोगों की सेवा करना जारी रखेंगे.
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