
क्या आपने कभी सोचा है कि अगर कोई नन यानि सिस्टर अपने ही चर्च के सबसे ताकतवर शख्स के खिलाफ खड़ी हो जाए तो क्या होगा? तो ये कहानी है सिस्टर रूथ की. साल 2018 में केरल की एक नन, सिस्टर रूथ ने जालंधर धर्मप्रांत के बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर बलात्कार का गंभीर आरोप लगाया. यह मामला केवल एक व्यक्ति पर आरोप तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भारत में लैटिन कैथोलिक चर्च की सत्ता संरचना और उसके काम करने के तरीकों पर भी सवाल उठाने लगा.
रूथ के लिए भी यह कदम आसान नहीं था. चर्च के भीतर पदानुक्रम और अनुशासन की कठोर व्यवस्था में किसी वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ आवाज़ उठाना अभूतपूर्व था. आरोप सामने आने के बाद न केवल रूथ बल्कि उनके साथ खड़ी ननों को भी अलगाव, अपमान और संस्थागत दबाव का सामना करना पड़ा.
मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा. विरोध प्रदर्शन हुए, मुलक्कल को गिरफ्तार किया गया और पद से इस्तीफा भी देना पड़ा. लेकिन लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद 2022 में निचली अदालत ने उन्हें बरी कर दिया. यह फैसला कई कानूनी और सामाजिक सवालों को खुला छोड़ गया. जैसे- क्या चर्च के भीतर जवाबदेही संभव है? और क्या एक महिला के बयान को पर्याप्त महत्व मिल पाता है?
आज, जब रूथ इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर रही हैं, यह कहानी केवल एक मुकदमे की नहीं रह जाती. यह सवाल उठाती है कि संस्थागत ढांचे के भीतर न्याय की मांग करने वालों को किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है, और ऐसे मामलों में समुदाय, मीडिया और न्यायपालिका की भूमिका कितनी प्रभावी साबित होती है.
रूथ के संघर्ष की पूरी कहानी और इस मामले को गहराई से समझने के लिए ये लंबी रिपोर्ट पढ़िए. साथ ही न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट को सब्सक्राइब कीजिए क्योंकि स्वतंत्र और विज्ञापन-मुक्त पत्रकारिता ही इन जटिल सवालों को गहराई से आपके सामने रख सकती है.
Newslaundry is a reader-supported, ad-free, independent news outlet based out of New Delhi. Support their journalism, here.