Get all your news in one place.
100’s of premium titles.
One app.
Start reading
Newslaundry
Newslaundry
National
अतुल चौरसिया

इमरजेंसी का बैंड, बाजा और बारात

पिछले हफ्ते इमरजेंसी की सालगिरह पर ढोल-नगाड़े के साथ चैनलों पर झांकियां निकली. अखबारों ने पचास साल पुरानी कहानियों से पन्ने के पन्ने रंग डाले. जो खबरिया चैनल साल के तीन सौ चौसठ दिन सांप्रदायिक नफरत, झूठ फरेब कर संविधान की हत्या करते हैं, उन्होंने 25 जून को संविधान बचाने का दम भरा. 

यह देख सुन कर देश की जनता को दो तरह के अहसास हुए. पहला ये संतोष कि चलो आज आपातकाल के खिलाफ देश जागरूक है. मीडिया इसको याद कर रहा है. दूसरा इस बात की तल्खी कि जो लोग आज इमरजेंसी की बरसी पर नागरिक और मीडिया आधिकारों के हनन की कहानियां सुना रहे हैं वो स्वयं क्या आज सरकार से सवाल पूछ पा रहे हैं?

इमरजेंसी के वक्त कुछ मीडिया और पत्रकार ऐसे थे जो सरकार के सामने तन कर खड़े थे. लेकिन आज जो लोग पत्रकारों के अड़ने की कहानी जो लोग सुना रहे हैं वो लोग आज खुद सरकार के सामने सीधे खड़े हो पा रहे हैं क्या?

Newslaundry is a reader-supported, ad-free, independent news outlet based out of New Delhi. Support their journalism, here.

Sign up to read this article
Read news from 100’s of titles, curated specifically for you.
Already a member? Sign in here
Related Stories
Top stories on inkl right now
Our Picks
Fourteen days free
Download the app
One app. One membership.
100+ trusted global sources.