
हर साल की तरह इस साल भी कांवड़ यात्रा ने कई नए विवादों को जन्म दिया है. इसमें होटल मालिकों की पहचान यानि उनके नाम लिखने या क्यूआर कोड लगाने का मामला हो या फिर वाहनों में तोड़फोड़ या राहगीरों को पीटने की घटनाएं, ऐसे तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं.
इसके अलावा यात्रा के चलते कांवड़ियों की सुरक्षा को देखते हुए प्रशासन ने कई होटलों, रेस्टोरेंट्स और अन्य आउटलेट्स को बंद करने का नोटिस भी जारी किया है. ऐसे ही तमाम होटल दिल्ली से गजरौला तक एनएच-9 पर बंद किए गए हैं. हमने इस हाईवे का दौरा किया और जाना कि आखिर कांवड़ यात्रा के चलते इन व्यापारियों को आर्थिक रूप से कितनी चोट पहुंची है.
हमने अपनी इस यात्रा में एक दर्जन से ज्यादा व्यापारियों से मुलाकात की. इस यात्रा से प्रभावित होने वाले आउटलेट्स की संख्या सैकड़ों में है. हमने अपनी मुलाकात में सिर्फ 12 आउटलेट्स के आधार पर पाया कि एक महीने में उन्हें करीब सवा तीन करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. आप अगर सभी सैकड़ों आउटलेट्स की बात करें तो यह नुकसान कितना भारी है, इसका सिर्फ अंदाज़ा ही लगाया जा सकता है.
लेकिन यह तो सिर्फ वे आंकड़े हैं जो हमारे पास रिकॉर्ड पर हैं. असली तस्वीर इससे कहीं बड़ी है.
व्यापारियों का कहना है कि सवाल सिर्फ नुकसान का नहीं है, बल्कि इससे जुड़े सैकड़ों कर्मचारियों की रोज़ी-रोटी का भी है. ऐसे में ज़रूरत है कि एक संतुलित व्यवस्था बनाई जाए, जहां श्रद्धालु भी सुरक्षित रहें और कारोबार भी ठप न हो.
ये व्यापारी मौजूदा स्थिति में किस पीड़ा से गुजर रहे हैं और कांवड़ यात्रा पर इनका क्या कहना है, यह विस्तार से जानने के लिए देखिए पूरा वीडियो.
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