
मई, 2022 में दिल्ली के उपराज्यपाल नियुक्त होने के बाद से वीके सक्सेना अक्सर निगम के मुद्दों पर तत्कालीन 'आप' (आम आदमी पार्टी) सरकार को सार्वजनिक रूप से निशाना बनाते थे. लेकिन फरवरी, 2025 में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से सरकार के प्रति उनका रुख नरम होता दिख रहा है.
इस साल फरवरी तक, उपराज्यपाल द्वारा कम से कम 10 निंदा भरे प्रेस बयान, अचानक से औचक निरीक्षण और सोशल मीडिया पर आलोचना के बाद अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे. लेकिन भाजपा सरकार के पहले 100 दिनों में उनकी ओर से एक भी आलोचनात्मक प्रेस विज्ञप्ति जारी नहीं की गई, औचक निरीक्षण बंद हो गए और सोशल मीडिया पर भी आलोचना शून्य रही.
एलजी और 'आप' के बीच का वाकयुद्ध भी, दिल्ली सरकार के साथ केंद्र द्वारा सत्ता के अधिकारों की सीमाओं को लेकर खींचतान से जुड़ा था. यह खींचतान अब खत्म होती लग रही है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को, पूर्ववर्ती ‘'आप'’ सरकार द्वारा केंद्र और एलजी के खिलाफ सेवाओं पर नियंत्रण समेत कई अन्य मुद्दों पर दायर सात मामलों को वापस लेने की अनुमति दे दी है.
केंद्रीय योजनाओं से जुड़े कार्यक्रम
'आप' के कार्यकाल में दिल्ली की निर्वाचित सरकार के प्रतिनिधियों को केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आने वाले कार्यक्रमों में आमंत्रित नहीं किया जाता था. भाजपा के मौजूदा कार्यकाल में अब तक ऐसे तीन कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिन सभी में दिल्ली की निर्वाचित सरकार के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं.
उदाहरण के लिए, 27 मई को, जब सक्सेना ने दिल्ली में 1984 के सिख दंगों के पीड़ितों को नौकरी के प्रस्ताव थमाए, तो ये मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की मौजूदगी में हुआ था. यह 6 जनवरी से बिलकुल अलग था, जब तत्कालीन 'आप' सरकार के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति में 47 नियुक्ति पत्र दिए गए थे, जबकि दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा मौके पर मौजूद थे. इसी तरह मार्च में, एलजी ने भाजपा विधायक अभय वर्मा के साथ दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा निर्मित अमृत जैव विविधता भाग का उद्घाटन किया. 2022 में, उन्होंने अकेले यमुना नदी के तट पर एक डीडीए परियोजना का उद्घाटन किया था. लेकिन मई में, जब एलजी ने इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड के साथ मिलकर अपने दिल्ली ग्रामोदय अभियान के तहत दिल्ली के 111 गांवों में पीएनजी सुविधा का उद्घाटन किया, तब रेखा गुप्ता मौजूद थीं.
‘संयुक्त प्रयासों’ के लिए श्रेय लेने का युद्ध
'आप' की सरकार के दौरान, कई संयुक्त सहयोगों के बाद सोशल मीडिया पर दोनों तरफ से श्रेय लेने के लिए युद्ध हुआ करते थे.
मसलन, सितंबर 2023 में, एलजी सक्सेना और तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल ने 400 इलेक्ट्रॉनिक बसों की पहली खेप को हरी झंडी दिखाई. उद्घाटन के बाद बोलते हुए, केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली अब सड़कों पर सबसे अधिक इलेक्ट्रॉनिक बसों वाला शहर बन गया है, और उनकी सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि दिसंबर 2025 के अंत तक राजधानी की 80 प्रतिशत बसें इलेक्ट्रॉनिक हों.
लेकिन कई पोस्टों की एक श्रृंखला में, सक्सेना ने कहा कि यह खेप केंद्र द्वारा प्रदान की जा रही 1,500 बसों का केवल एक हिस्सा है, जिनमें से 921 को मोदी सरकार द्वारा पूरी तरह से सब्सिडी दी जा रही है. इसके बाद केजरीवाल ने तर्क दिया कि केंद्र इन 921 वाहनों की लागत का केवल 10 प्रतिशत ही वहन करेगा. यह तब हुआ जब इन बसों के उद्घाटन में दो महीने की देरी हो गई थी, क्योंकि सवाल ये था कि इन्हें कौन लॉन्च करेगा – दिल्ली सरकार या केंद्र.
पहले का आचरण, फरवरी से हो रहे ऐसे कार्यक्रमों के विपरीत है जिनमें सीएम रेखा गुप्ता और एलजी ने साथ हिस्सा लिया, जहां राज निवास और सीएम कार्यालय दोनों ने एक-दूसरे की सराहना की या अपने “संयुक्त प्रयासों” पर प्रकाश डाला.
औचक निरीक्षण
सक्सेना के औचक निरीक्षणों में आमतौर पर दिल्ली के मुख्य सचिव और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते थे. इनके बाद या तो अधिकारियों को सीधे निर्देश दिए जाते थे, या राजधानी की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रेस बयान जारी किए जाते थे.
इन निरीक्षणों में बागवानी, रैन बसेरों, जलभराव की समस्या और राजधानी भर में गाद निकालने के काम जैसे कार्य शामिल थे.
उदाहरण के तौर पर देखें तो मई 2022 में, पद पर नियुक्त होने के एक दिन के भीतर, उन्होंने राज निवास और कनॉट प्लेस के बीच के हिस्से का निरीक्षण किया और "पौधों की एकरूपता की कमी और बेतरतीब उगना, सूखी हुई झाड़, कूड़े और कचरे के ढेर" की ओर इशारा किया. उन्होंने अधिकारियों को निर्देशों की एक सूची दी.
दिसंबर 2022 में, उन्होंने आईएसबीटी और हनुमान मंदिर से सटे रैन बसेरों का एक और औचक दौरा किया और "इस बात पर हैरानी जताई कि राष्ट्रीय राजधानी में हजारों लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं" जबकि "देश के दूरदराज के इलाके खुले में शौच मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल कर रहे हैं". उन्होंने कहा कि वे बेघर लोगों के लिए बुनियादी सुविधाओं का पर्याप्त प्रावधान सुनिश्चित करेंगे और इस मामले को सीएम के सामने भी उठाएंगे.
उन्होंने नजफगढ़ नाले में गाद निकालने के प्रयासों की समीक्षा के लिए तीन दौरे किए, जो यमुना में प्रदूषण के लिए सबसे बड़ा कारण है. ये दौरे, यमुना की सफाई की निगरानी के लिए गठित समिति का नेतृत्व करने के लिए सक्सेना के चुने जाने से पहले हुए थे. इन निरीक्षणों के बाद, वे अधिकारियों को गाद निकालने के लिए अलग-अलग तकनीकों का उपयोग करने का निर्देश देते थे.
अप्रैल 2025 में, उन्होंने शहर भर में चल रहे सफाई और जल प्रबंधन प्रयासों की समीक्षा के लिए नजफगढ़ नाले सहित कई स्थानों पर सीएम रेखा गुप्ता के साथ संयुक्त निरीक्षण किया. लेकिन इस बार, उनकी पोस्ट्स के अनुसार, अंतर ये था कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को एक व्यापक कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया था.
मानसून को दोष
पिछले जुलाई में, तीन यूपीएससी उम्मीदवार ओल्ड राजेंद्र नगर में स्थित एक कोचिंग के बेसमेंट में डूब गए थे, और एक अन्य छात्र पटेल नगर में जलभराव वाली गली में बिजली के करंट से मर गया था. उस समय, सक्सेना ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में ‘आप’ सरकार पर तोहमत लगाते हुए कहा कि यह त्रासदी “'आपराधिक उपेक्षा” और “पिछले एक दशक से दिल्ली में व्याप्त कुशासन की बड़ी बीमारी” का नतीजा है.
इसके जवाब में, ‘आप’ ने सक्सेना द्वारा चुने गए मुख्य सचिव नरेश कुमार पर, नालों की सफाई न करने और संचार का उचित जवाब न देने का आरोप लगाया. सक्सेना ने कुमार का बचाव किया और दिल्ली सरकार पर फाइलों को दबाए रखने का आरोप लगाया. इसके बाद उन्होंने राजेंद्र नगर में प्रदर्शनकारी छात्रों से मुलाकात की और पीड़ितों के परिवारों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की. 'आप' सरकार ने कुमार के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया, जबकि सक्सेना ने “लापरवाही” के लिए दो अग्नि सुरक्षा अधिकारियों को निलंबित कर दिया. उन्होंने औचक निरीक्षण भी किया.
यह सब दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिल्ली की जल निकासी समस्या में कम से कम 11 एजेंसियों की संलिप्तता और शासन की अव्यवस्था को चिन्हित करने के दो महीने बाद हुआ.
पर इस साल कथानक उलट गया है. अब तक, सक्सेना ने भाजपा की मानसून की तैयारियों की प्रशंसा की है, और ट्वीट करके “बेकार दोषारोपण से मुक्त निर्बाध शासन” के बारे में बताया है. सीएम गुप्ता और पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा के साथ संयुक्त निरीक्षण “डबल इंजन सरकार” के सबूत के रूप में दिखाए जाते हैं.
मई में, जब दिल्ली में बारिश हुई और कई इलाकों में जलभराव हो गया, तो एलजी ने नालों को बहने और जलभराव को कम करने के लिए “प्रयास” करने के लिए रेखा गुप्ता सरकार की सराहना की. उन्होंने कहा कि गुप्ता के “लगातार प्रयासों” ने परिणाम दिखाना शुरू कर दिया है, हालांकि “एक दशक से अधिक की उपेक्षा के कारण जो दलदल बना हुआ है, उसे पूरी तरह से ठीक होने में काफी समय लगेगा.”
इसी तरह, मार्च में, जब सीएम रेखा गुप्ता ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यमुना में फेरी सेवा की घोषणा की, तो सक्सेना ने इसे “मील का पत्थर” बताया. उन्होंने कहा कि परियोजना को पहले “नकारात्मक राजनीति” के कारण रोक दिया गया था. उन्होंने कहा, "दो साल पहले, यमुना में नौकायन सुलभ बनाने के लिए, मैंने भारतीय नौसेना की नाव का अनुरोध किया और इसे यमुना में चालू करने की कोशिश की. तत्कालीन सीएम सुप्रीम कोर्ट गए और उन सभी सेवाओं को रोक दिया गया."
यहां सक्सेना 2023 का जिक्र कर रहे थे, जब 'आप' सरकार ने यमुना की सफाई के लिए गठित एक समिति का नेतृत्व करने के लिए सक्सेना को नियुक्त करने के एनजीटी के आदेश को चुनौती दी थी. 'आप' ने इस आदेश को असंवैधानिक बताया था.
दिसंबर 2024 में, सक्सेना ने केजरीवाल को एक तीखा पत्र लिखा. जिसमें उन्होंने कहा, "यमुना अपने उच्चतम प्रदूषण स्तर पर पहुंच गई है… मैं आपको व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार मानता हूं, क्योंकि आपने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और यमुना में किए जा रहे सफाई कार्य को रोक दिया था."
लेकिन भाजपा की जीत के कुछ हफ्तों के भीतर ही सक्सेना ने चौतरफा यमुना पुनरुद्धार योजना शुरू की, जिसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया कि इसके लिए एजेंसियों के बीच "निर्बाध समन्वय की आवश्यकता होगी".
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को समिति के अध्यक्ष के रूप में सक्सेना की नियुक्ति को चुनौती देने वाले अपने मामले को वापस लेने की अनुमति दी. 'आप' के कार्यकाल के विपरीत, जब उपराज्यपाल ने सरकार के प्रतिनिधियों को बाहर रखा था, जिसके चलते श्रेय लेने की होड़ मच गई थी, वह नियमित रूप से सफाई प्रक्रिया की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के साथ संयुक्त अभियान चलाने के वीडियो साझा करते हैं.
ठोस अपशिष्ट
फरवरी 2023 में, एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने एलजी को ठोस अपशिष्ट यानी कचरे के प्रबंधन पर एक उच्च स्तरीय समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था. जून 2023 में तत्कालीन 'आप' सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी कि उसे यह असंवैधानिक नियुक्ति लगी, ये उन मामलों में से है जो अब सुलझ चुके हैं.
अपनी नियुक्ति के बाद सक्सेना नियमित रूप से ओखला, गाजीपुर और भलस्वा में कूड़े के ढेरों का दौरा करने और कचरे के निपटान को संभालने में अपने कार्यालय की उपलब्धियों के बारे में पोस्ट करते थे. मसलन मार्च 2023 में, उन्होंने पोस्ट किया कि जब से उन्होंने स्थिति का जायजा लेना शुरू किया है, तब से एमसीडी (नगर निगम दिल्ली) ने अधिक कचरे का निपटान शुरू कर दिया है. 'आप' सरकार के प्रतिनिधियों को समिति के संचालन में कभी शामिल नहीं किया जाएगा.
मार्च में, सक्सेना और सीएम रेखा गुप्ता ने भलस्वा लैंडफिल साइट पर बांस के पौधे लगाने का अभियान चलाया, ताकि कचरा डंप क्षेत्रों को हरित क्षेत्रों में बदलने की शुरुआत की जा सके. एक्स पर तस्वीरें साझा करते हुए सक्सेना ने लिखा कि सीएम रेखा गुप्ता, वित्त मंत्री मजिंदर सिंह सिरसा और भाजपा सांसद योगेंद्र चंदोलिया के साथ जमीन पर बांस के पेड़ लगाना “संतोषजनक” रहा. गुप्ता ने एलजी के नेतृत्व की भी सराहना की. “एलजी ने दिल्ली के परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उनका नेतृत्व एक ढाल की तरह रहा है, जिसने शहर की रक्षा की और इसके विकास का मार्गदर्शन किया.”
इस साल फरवरी से मई के बीच, सक्सेना ने 10 औपचारिक कार्यक्रमों में भाग लिया है. उन्होंने 2023 में इसी अवधि के दौरान पांच कार्यक्रमों में भाग लिया था.
न्यूज़लॉन्ड्री ने टिप्पणी के लिए एलजी सक्सेना, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और पूर्व सीएम आतिशी सिंह से संपर्क किया. अगर वे जवाब देते हैं तो उन्हें इस रिपोर्ट में शामिल कर दिया जाएगा.
मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
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